बरेली, 26 जून: नैनीताल हाईवे पर भीषण हादसा
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में नैनीताल हाईवे पर गुरुवार सुबह एक ऐसा दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने न सिर्फ एक परिवार की खुशियाँ छीन लीं, बल्कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम कर दीं। सुबह करीब 5 बजे देवरनिया थाना क्षेत्र में एक तेज रफ्तार ट्रक डिवाइडर तोड़ता हुआ सामने एक पेड़ से जा टकराया। इस टक्कर के साथ ही ट्रक के इंजन और केबिन में आग लग गई, जिसमें ट्रक ड्राइवर शिबू कुमार खाटी की जिंदा जलकर मौत हो गई।
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यह हादसा इतना भीषण था कि नजदीक के लोगों की मदद भी काम नहीं आ सकी। जब तक पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम पहुंची, तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था। इस हादसे ने झारखंड के जमशेदपुर में रहने वाले एक परिवार की दुनिया उजाड़ दी।

नैनीताल हाईवे पर भीषण हादसा: कैसे हुआ हादसा – हर पल की कहानी
गुरुवार की सुबह लगभग 5 बजे की बात है। बहेड़ी से बरेली की तरफ आ रहा एक ट्रक, जिसमें लोहे के गार्डर लदे हुए थे, अचानक अनियंत्रित हो गया। ट्रक की रफ्तार इतनी तेज थी कि ड्राइवर के पास संभलने का कोई मौका नहीं बचा। ट्रक डिवाइडर को तोड़ता हुआ सड़क पार कर गया और सीधे एक बड़े पेड़ से जा टकराया।
टक्कर इतनी जोरदार थी कि लोहे के गार्डर ट्रक के केबिन में घुस गए। साथ ही ट्रक के इंजन और केबिन में तुरंत आग लग गई। उस वक्त ड्राइवर शिबू कुमार खाटी ट्रक के अंदर ही था और हादसे के बाद वह केबिन में फंस गया। गार्डर की वजह से उसका निकलना मुश्किल हो गया और आग ने पूरी केबिन को अपनी चपेट में ले लिया।
नैनीताल हाईवे पर भीषण हादसा: लोगों ने बचाने की भरसक कोशिश की, लेकिन…
हादसे के तुरंत बाद आस-पास के गांवों से लोग घटनास्थल पर दौड़कर पहुंचे। कई लोगों ने पानी और मिट्टी से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैल चुकी थी कि कुछ भी कर पाना नामुमकिन था। ट्रक से उठती भीषण लपटों ने सबको पीछे हटने पर मजबूर कर दिया।
किसी ने तुरंत पुलिस को फोन किया, और फायर ब्रिगेड को भी सूचना दी गई। कुछ ही देर में पुलिस और दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और आग बुझाने में जुट गईं। करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन तब तक ड्राइवर की मौत हो चुकी थी।
कौन था शिबू कुमार खाटी? – परिवार का इकलौता सहारा
मृतक की पहचान 35 वर्षीय शिबू कुमार खाटी के रूप में हुई, जो झारखंड के जमशेदपुर का रहने वाला था। उसके पिता का नाम कृष्ण बहादुर है। शिबू अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य था। वह कई वर्षों से ट्रक चलाकर अपने घर का खर्च चला रहा था।
परिवार में उसके बूढ़े माता-पिता, पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। परिजनों के अनुसार, शिबू बेहद जिम्मेदार और मेहनती इंसान था। वह हर महीने थोड़ा-थोड़ा पैसा बचाकर बच्चों की पढ़ाई और माता-पिता की दवा के लिए भेजता था। हादसे की खबर मिलते ही परिजन सदमे में आ गए। उनकी आंखों के सामने जैसे अंधेरा छा गया।
हादसे की जानकारी मिलते ही मचा कोहराम
जैसे ही पुलिस ने मृतक के परिजनों को इस दर्दनाक घटना की सूचना दी, परिवार में चीख-पुकार मच गई। शिबू की पत्नी बार-बार बेहोश हो रही थी, जबकि मां बुरी तरह रो-रो कर कह रही थी – “अब कौन हमारा सहारा बनेगा?” बच्चे अपने पिता के फोटो को पकड़कर रो रहे थे। यह मंजर हर किसी का दिल तोड़ देने वाला था।
पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और शव का पंचनामा भरवाया गया।

थाना प्रभारी ने क्या बताया?
देवरनिया थाना प्रभारी आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस और फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची थी। ट्रक में लगी आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन ड्राइवर की जान नहीं बचाई जा सकी। शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि घटना के कारणों की विस्तृत जांच की जा रही है।
क्या कहती है प्रारंभिक जांच?
पुलिस के मुताबिक, प्रथम दृष्टया हादसे का कारण तेज रफ्तार और ड्राइवर का ट्रक पर से नियंत्रण खो देना हो सकता है। हाईवे पर तेज रफ्तार वाहनों की वजह से आए दिन हादसे होते हैं। फॉरेंसिक टीम को भी बुलाया गया है, जो तकनीकी कारणों की जांच कर रही है – जैसे कि ब्रेक फेल होना, स्टेयरिंग लॉक होना या ड्राइवर की झपकी आना।
एक और आंकड़ा – सड़कों पर रोज बिखरते सपने
भारत में हर साल लाखों सड़क हादसे होते हैं, जिनमें हजारों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। सबसे ज्यादा मौतें ट्रकों और भारी वाहनों में होती हैं, क्योंकि इनके साथ हादसे में नुकसान ज्यादा होता है। ऐसे हादसे ना सिर्फ एक इंसान की जिंदगी लेते हैं, बल्कि उनके पूरे परिवार को जीवनभर के लिए संघर्ष में डाल देते हैं।
शिबू की मौत भी इसी कड़वी सच्चाई का एक और उदाहरण है – जहां एक जिम्मेदार बेटा, पति और पिता काम पर निकला था, लेकिन वापस लौट नहीं पाया।
प्रशासन से उम्मीद – मिले मुआवजा और सुरक्षा उपाय
स्थानीय लोगों और मृतक के परिजनों की मांग है कि सरकार शिबू के परिवार को पर्याप्त मुआवजा और सहायता दे, ताकि उसके बच्चों की पढ़ाई और माता-पिता का इलाज जारी रह सके। साथ ही हाईवे पर सुरक्षा उपायों को मजबूत किया जाए – जैसे कि स्पीड ब्रेकर, चेतावनी बोर्ड, ट्रैफिक पुलिस की मौजूदगी और हादसे रोकने के अन्य उपाय।

अंत में – एक सवाल जो रह गया…
जब कोई गरीब घर का इंसान, पेट पालने के लिए सड़कों पर निकलता है, तो उसके पास सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं होता। ऐसे हादसे सिस्टम पर कई सवाल खड़े करते हैं। आखिर कब तक लोग लापरवाह ड्राइविंग, सड़क की खस्ताहाली और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी की कीमत अपनी जान देकर चुकाते रहेंगे?
शिबू जैसे हजारों लोग रोज़ देशभर की सड़कों पर निकलते हैं – उम्मीद और जिम्मेदारी के बोझ के साथ। लेकिन जब वो वापस नहीं लौटते, तो केवल एक इंसान नहीं, एक पूरा परिवार खत्म हो जाता है।
नैनीताल हाईवे पर भीषण हादसा
