Ekadashi 2025 Ekadashi पञ्चाङ्ग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहते हैं। यह तिथि मास में दो बार आती है। एक पूर्णिमा होने पर और दूसरी अमावस्या होने पर। पूर्णिमा से आगे आने वाली एकादशी को कृष्ण पक्ष की एकादशी और अमावस्या के उपरान्त आने वाली एकादशी को शुक्ल पक्ष की एकादशी कहते हैं। इन दोनों प्रकार की एकादशियोँ का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है।एकादशी भगवन श्री हरी को बहुत प्रिय है , माना जाता है की इस दिन जो व्यक्ति अन्न खाता है वह बहुत बड़े पाप का भागी बनता है।
Ekadashi 2025 एकादशी तिथि विवरण
वैदिक मास | पालक देवता | शुक्लपक्ष एकादशी | कृष्णपक्ष एकादशी |
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चैत्र (मार्च-अप्रैल) | विष्णु | कामदा | वरूथिनी |
वैशाख (अप्रैल-मई) | मधुसूदन | मोहिनी | अपरा |
ज्येष्ठ (मई-जून) | त्रिविक्रम | निर्जला | योगिनी |
आषाढ़ (जून-जुलाई) | वामन | देवशयनी | कामिका |
श्रावण (जुलाई-अगस्त) | श्रीधर | पुत्रदा | अजा |
भाद्रपद (अगस्त-सितंबर) | हृशीकेश | परिवर्तिनी | इंदिरा |
आश्विन (सितंबर-अक्टूबर) | पद्मनाभ | पापांकुशा | रमा |
कार्तिक (अक्टूबर-नवंबर) | दामोदर | प्रबोधिनी | उत्पन्ना |
मार्गशीर्ष (नवंबर-दिसम्बर) | केशव | मोक्षदा | सफला |
पौष (दिसम्बर-जनवरी) | नारायण | पुत्रदा | षटतिला |
माघ (जनवरी-फरवरी) | माधव | जया | विजया |
फाल्गुन (फरवरी-मार्च) | गोविंद | आमलकी | पापमोचिनी |
अधिक (3 वर्ष में एक बार) | पुरुषोत्तम | पद्मिनी | परमा |
इस प्रकार वर्ष मे कम से कम 24 एकादशी हो सकती हैं, परन्तु अधिक मास की स्थति मे यह संख्या 26 भी हो सकती है।
एकादशी व्रत करने की इच्छा रखने वाले मनुष्य को दशमी के दिन से कुछ अनिवार्य नियमों का पालन करना पड़ेगा। इस दिन मांस, कांदा (प्याज), मसूर की दाल चावल आदि का निषेध वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। रात्रि को पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए तथा भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।
लेखक-अरुण कृष्ण शास्त्री
नवदुर्गा ज्योतिष संस्थान, 7983010116
Ekadashi 2025 Dates, Fast Rules, Katha, Mantra & Puja Vidhi | Ekadasi dates
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