राजधानी नई दिल्ली में मंगलवार रात रेलवे स्टेशन पर हुई अचानक भगदड़ ने राजधानी को हिलाकर रख दिया। इस घटना में 15 लोगों की जान चली गई और 10 से अधिक घायल हुए। यह त्रासदी प्लेटफॉर्म नंबर 14 और 15 पर शाम 9:55 बजे तब हुई, जब प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेनों के अचानक रद्द होने के बाद यात्रियों में भगदड़ मच गई। आँखों देखे हालात बताने वालों ने भगदड़ के दौरान हुई अफरातफरी, चीखों और लोगों के बीच जान बचाने की जद्दोजहद का मार्मिक वर्णन किया है।

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन वह रात: जब सबकुछ अनियंत्रित हो गया
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन, जो देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन में से एक है, उस रात सामान्य दिनों की तरह ही चहल-पहल से भरा हुआ था। प्लेटफॉर्म 14 और 15 पर प्रयागराज की ओर जा रहे श्रद्धालु, जिनमें ज्यादातर महाकुंभ में शामिल होने वाले तीर्थयात्री शामिल थे, अपनी ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। लेकिन अचानक हालात तब बिगड़ने लगे, जब रेल्वे की तरफ से अचानक दो ट्रेनों के रद्द होने की घोषणा हुई। इन ट्रेनों के रद्द होने का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है।
ये रेल्वे की तरफ से ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। जब अचानक से रेल्वे की तरफ से ट्रेन रद्द कर दी जाती है। ये ऐसा हमेशा से होता रहा है। इसका जबाब कोण देगा। ये हमेशा से ट्रेन लेट होना और रद्द होना।
एक यात्री रमेश कुमार ने बताया, “लाउडस्पीकर पर ट्रेन रद्द होने की सूचना तो मिली, लेकिन आगे क्या करें, यह कोई नहीं बता रहा था। लोग धक्का-मुक्की करने लगे।” इसके कुछ ही मिनटों में प्लेटफॉर्म पर मौजूद परिवार, बुजुर्ग और बच्चे भीड़ के बीच फंस गए। जल्दबाजी में बाहर निकलने की कोशिश कर रहे लोगों ने सीढ़ियों और संकरे रास्तों की ओर दौड़ लगा दी। इस दौरान कई लोग गिरे, और उन पर भीड़ चढ़ गई।
एक अन्य यात्री अंजलि मिश्रा, जो खुद मामूली चोटों के साथ बच गईं, ने कहा, “मैंने देखा कि एक महिला का बच्चा उसके हाथ से छूट गया। लोग चीख रहे थे, लेकिन कोई कुछ नहीं कर पा रहा था।” सब अपनी जान बच कर भाग रहे थे।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन मौतों का सिलसिला: टूटे परिवार, सवालों के घेरे में व्यवस्था
आधी रात तक स्थिति की भयावहता सामने आ चुकी थी। 15 लोगों की मौत हो गई—जिनमें 11 महिलाएं, 2 पुरुष और 2 बच्चे शामिल थे। शवों को लोक नायक जयप्रकाश (LNJP) अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल ले जाया गया। LNJP अस्पताल के मोर्चरी के बाहर मृतकों के परिजनों का सिसकियों भरा मंजर था।
मृतकों में राजस्थान की 45 वर्षीय सुमन देवी भी शामिल थीं, जो अपनी दो बेटियों के साथ प्रयागराज कुम्भ में जा रही थीं। उनके भाई राजेश ने आँसू भरी आवाज में कहा, “उन्होंने ट्रेन में चढ़ने से पहले फोन करके बताया था कि वे स्टेशन पर सुरक्षित पहुँच गई हैं। अब वो नहीं रहीं…” उनको यकीन नहीं हो रहा था। जिनको वो अभी कुछ देर पहले ही स्टेशन पर सुरक्षित छोड़ के आया है। अचानक उनकी मौत की खबर ने उनको अंदर तक से हिला दिया।
घायलों में फ्रैक्चर और आंतरिक चोटों वाले बच्चे भी शामिल थे, जिन्हें अस्पतालों में इलाज दिया जा रहा है। मगर इस घटना ने लोगों के दिलों पर गहरा आघात पहुँचाया है। लेडी हार्डिंग अस्पताल में अपने बेटे के साथ मौजूद एक पिता ने कहा, “मेरा बेटा इस घटना के बाद से एक शब्द भी नहीं बोला है। वह बार-बार अपनी दादी को पूछ रहा है।”
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन जिम्मेदारी से इनकार और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
रेलवे प्रशासन ने शुरुआत में इस घटना को “मामूली हलचल” बताते हुए भगदड़ होने से इनकार किया। लेकिन सोशल मीडिया पर खून से लथपथ प्लेटफॉर्म और शोकसंतप्त परिवारों की तस्वीरें वायरल होने के बाद दबाव बढ़ गया। सुबह तक रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने उच्चस्तरीय जांच की घोषणा करते हुए ट्वीट किया: “जानमाल के नुकसान से दुखी हूँ। बचाव कार्य जारी है, स्थिति नियंत्रण में है।”
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने घटनास्थल का दौरा कर इसे “दिल दहला देने वाला” बताया और आपदा प्रबंधन टीमों को तैनात करने के निर्देश दिए। वहीं, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने सोशल मीडिया पर सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा: “यह त्रासदी सरकार की लापरवाही को उजागर करती है। श्रद्धालुओं को व्यवस्था के अभाव में छोड़ दिया गया। जवाबदेही कहाँ है?”

नई दिल्ली रेलवे स्टेशन क्यों हुई भगदड़? ट्रेन रद्दीकरण और भीड़ प्रबंधन की विफलता
शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना खराब संचार और भीड़ प्रबंधन की विफलता का नतीजा थी। महाकुंभ के लिए जा रहे श्रद्धालुओं वाली ट्रेनों के रद्द होने से हजारों यात्री बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के फंस गए। एक रेलवे कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “रिफंड या ट्रेनों के पुनर्निर्धारण के बारे में कोई घोषणा नहीं हुई। लोगों को लगा कि उनके साथ धोखा हुआ है, और वे दूसरे प्लेटफॉर्म की ओर भागने लगे।”
प्लेटफॉर्म 14 और 15, जो पहले से ही संकरे रास्तों और खराब साइनबोर्ड्स के लिए कुख्यात हैं, इस रात मौत के फंदे बन गए। स्टेशन के नियमित यात्रियों ने लंबे समय से चली आ रही समस्याओं—जैसे अप्रशिक्षित स्टाफ, खराब सीसीटीवी कैमरे और आपातकालीन प्रोटोकॉल्स की कमी—की ओर इशारा किया। एक चाय विक्रेता, जो भगदड़ का गवाह बना, ने कहा, “यह स्टेशन रोजाना लाखों यात्रियों को संभालता है, लेकिन भीड़ प्रबंधन का कोई इंतजाम नहीं है। यह त्रासदी तो आने ही वाली थी।”
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन घटना के बाद: शोक, आक्रोश और मांगें
बुधवार सुबह तक स्टेशन पर सन्नाटा छा गया। घटनास्थल को बैरिकेड्स से घेर दिया गया, जबकि फॉरेंसिक टीमें सबूत जुटाने में जुटी थीं। रेलवे अधिकारियों ने सोशल मीडिया पर आलोचना को हटाने की कोशिश की, लेकिन जनता का गुस्सा साफ झलक रहा था। स्टेशन के बाहर प्रदर्शन हुए, जहाँ लोग “रेलवे हत्यारे!” के नारे लगाते हुए इस्तीफों की मांग कर रहे थे।
हालांकि, पीड़ितों के परिवारों को राजनीति नहीं, बल्कि जवाब चाहिए। मृतकों में शामिल एक युवती के भाई अरविंद सिंह ने गुस्से में कहा, “मेरी बहन की मौत उनकी लापरवाही की वजह से हुई है। जिम्मेदारी कौन लेगा?”
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन क्या यह पहली बार हुआ है? एक पुरानी समस्या
यह घटना कोई पहली घटना नहीं है। ऐसा हादसा 2023 में मुंबई के एलफिंस्टन रोड स्टेशन पर हुई भगदड़ में 23 लोगों की मौत हुई थी, जिसने इसी तरह की व्यवस्थागत कमियों को उजागर किया था।
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर—जो दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्क्स में से एक है—त्योहारों के दौरान भीड़ को संभालने में असमर्थ है। शहरी योजनाकार मीरा सिंह ने कहा, “बिना किसी बैकअप प्लान के ट्रेनें रद्द करना अपराध की श्रेडी में आता है। हमें रियल-टाइम क्राउड मॉनिटरिंग और आपातकालीन निकास की जरूरत है।”
फिलहाल, रेलवे ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवजे और घायलों को मुफ्त इलाज का वादा किया है। लेकिन कई लोगों के लिए यह बहुत कम और बहुत देर से आया है।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन आगे की राह: सवाल और संभावनाएं
जांचकर्ता घटनाक्रम का पता लगाने में जुटे हैं, लेकिन कुछ सवाल अभी भी सवालों के गहरे में हैं:
- ट्रेनें अंतिम समय पर क्यों रद्द की गईं?
- क्या भीड़ प्रबंधन के नियमों को जानबूझ कर नजरअंदाज किया गया?
- प्लेटफॉर्म 14 और 15, जो पहले से ही भीड़भाड़ वाले हैं, का बेहतर प्रबंधन क्यों नहीं किया गया?
जांच के निष्कर्ष ही जिम्मेदारी तय करेंगे, लेकिन शोकाकुल परिवारों के लिए न्याय उनकी क्षति को पूरा नहीं किया सकता। बुधवार की सुबह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर फूलों के गुच्छे उन जगहों को चिह्नित कर रहे थे, जहाँ कई जिंदगियाँ प्रशासन की व्यवस्था लापरवाही की भेंट चढ़ गईं।
एक ऐसे देश में, जहाँ करोड़ों लोग रोजाना ट्रेनों पर निर्भर हैं, यह त्रासदी आधुनिकीकरण, संवेदनशीलता और जवाबदेही की जरूरत को रेखांकित करती है। जब तक यह नहीं होता, मंगलवार रात की यह दहशत भारतीय रेलवे के इतिहास में एक काला अध्याय बनकर रह जाएगी।
New delhi railway station pr hua hadsa pic.twitter.com/FjFBwVEYii
— Ashish Garg (@AshishG22218895) February 15, 2025